आपकी कुंडली मे कालसर्प दोष का उत्पन्न होना पूर्ण रूप से आपकी कुंडली मे राहु और केतु की स्थिति पर निर्भर करता है। कुंडली मे राहु और केतु के अलग अलग भाव मे स्थित होने पर अलग अलग प्रकार के कालसर्प दोष बनते है। आज इस लेख के माध्यम से हम आपको बताएँगे की राहु और केतु की स्थिति के अनुसार कालसर्प दोष के प्रकार कितने होते है।
इस पोस्ट के अंत मे हम आपको एक ऐसा उपाय बताएँगे जिसको अपनाकर आप कालसर्प दोष से पूरी तरह से छुटकारा और मुक्ति पा सकते हो।
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12 प्रकार के कालसर्प योग
जन्म कुंडली मे राहु और केतु की स्थिति के अनुसार 12 प्रकार के कालसर्प योग बनते है, जो की कुछ इस प्रकार है।
1. अनंत कालसर्प दोष :- अनंत कालसर्प दोष का योग तब बनता है जब जातक की कुंडली मे राहु लग्न या प्रथम भाव मे हो तथा केतु सप्तम घर मे स्थिति हो और बचे हुए अन्य गृह राहु और केतु के बीच मे स्थिति हो, इस ज्योतिषीय दशा को ही विपरीत कालसर्प दोष कहा जाता है।
उपाय :- अनंत कालसर्प दोष के प्रभाव को कम करने के लिए मनसा देवी की उपासना करें और ॐ नम: शिवाय या म्हामृत्युन्जय मन्त्र का जप करें।
2. कुलीक कालसर्प दोष :- जब भी किसी जातक की कुंडली मे राहु द्वितीय तथा केतु अष्टम भाव मे स्थित हो और अन्य सारे गृह इन दोनों ग्रहो के बीच मे स्थित हो, तो इस दशा को कुलीक कालसर्प दोष कहा जाता है। यह पैतृक सम्पत्ति पाने में दिक्कतें खड़ी करता है और ऐसी सम्पत्ति के पीछे कानूनी चक्कर लगाने पड़ सकते हैं।
उपाय :- कुलीक कालसर्प दोष के असर को कम करने के लिए हाथी के पाँव की मिट्टी कुएं में डालें और बुधवार के दिन गाय को हरा चारा खिलाएं। राहु मन्त्र का जप कराकर दुर्वा से पूर्णाहुति कराएं।
3. वासुकी कालसर्प योग :- जब भी किसी जातक की कुंडली मे राहु तीसरे भाव मे हो और केतु नवे भाव मे स्थिति हो और बाकी के सारे गृह राहु और केतु के बीच मे फंसे पड़े हो तो इस दशा मे जातक की कुंडली मे वासुकि कालसर्प दोष योग बनता है।
उपाय :- वासुकि कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए जातक को लगातार 11 दिनों तक महामृत्युंजय मंत्रों का जाप करना चाहिए।
4. शंखपाल कालसर्प दोष :- यह दोष भी कालसर्प दोष के प्रकार मे से एक है और जब जातक की कुंडली मे राहु चतुर्थ भाव मे तथा केतू दशम भाव मे स्थित हो, तो जातक की जन्मकुंडली मे शंखपाल काल सर्प दोष होता है। इस दोष के कारण जातक पिता के स्नेह और प्यार से वंचित रह जाता है। उसे नौकरी मे भी समस्या का सामना करना पड़ता है।
उपाय :- इस दोष के असर को कम करने के लिए जातक को किसी भी शुभ मुहूर्त में अपने घर के मुख्य द्वार पर चांदी का बना हुआ स्वास्तिक एवं दोनों और धातु से निर्मित नाग व नागिन चिपकाने चाहिए।
5. पद्म कालसर्प दोष :- कालसर्प दोष के प्रकार मे से एक प्रकार है पद्म कालसर्प दोष जातक की कुंडली मे जब राहु पंचम घर मे बेठा हो और केतु ग्यारहवें घर मे हो और इन दोनों के बीच मे सारे गृह स्थित हो इस दशा मे कुंडली मे पद्म कालसर्प दोष उत्पन्न होता है। इस कालसर्प दोष मे जातक को शिक्षा से संबन्धित परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
उपाय :- पद्म कालसर्प दोष के प्रभाव को कम करने के लिए जातक को किसी भी शनिवार से 18 शनिवार लगातार उपवास रखने चाहिए और उपवास के समय काले वस्त्र धारण करें।
6. महापद्म कालसर्प दोष :- जब भी किसी जातक की कुंडली मे राहु छटे भाव मे हो और केतु बारहवें भाव मे स्थित हो और सारे गृह इन दोनों मुख्य ग्रहो के बीच मे स्थित हो तो इस दशा मे कुंडली मे महापद्म कालसर्प दोष उत्पन्न होता है। इस दोष के प्रभाव के चलते जातक के कार्यक्षेत्र में शत्रु हमेशा षड्यंत्र करने में लगे रहते हैं, और आपको अपने ही लोग नीचा दिखाने में लगे रहते हैं।
उपाय :- इस दोष के असर को कम करने के लिए आप पितरों के नाम से दान भी कर सकते हैं। पितरों के नाम से दान देना भी कालसर्प दोष के योग से मुक्ति के लिए बहुत ही लाभप्रद होता हैं।
7. तक्षक कालसर्प दोष :- जब जातक की कुंडली मे राहू सप्तम घर मे व केतू लग्न मे उपस्थित हो, और बाकी के सारे ग्रह इनके बीच मे हो तब जातक की कुंडली मे तक्षक कालसर्प दोष योग बनता है। इस योग में जीवनसाथी से लंबे समय तक के लिए बात नही होती है।
उपाय :- तक्षक कालसर्प दोष के दुष्प्रभावो को कम करने के लिए आप नागपंचमी के दिन नाग देव की अराधना करने के बाद धान का लावा चढ़ाएँ।
8. कर्कोटक कालसर्प दोष:- जब भी केतु दूसरे भाव मे हो और राहु अष्टम भाव मे स्थित हो और बचे हुए सारे गृह इन दोनों के बीच मे स्थित हो तो इस दशा मे कुंडली मे कर्कोटक कालसर्प दोष उत्पन्न होता है।
उपाय :- इस कालसर्प दोष के असर को कम करने के लिए नागपंचमी के दिन किसी भी शिव मंदिर या नाग-नागिन के मंदिर में चांदी, पंचधातु, तांबा या अष्ट धातु का नाग-नागिन का जोड़ा चढ़ा कर आएं।
9. शंखचूड कालसर्प दोष:- यह कालसर्प दोष तब उत्पन्न होता है जब जन्म कुंडली मे केतु तीसरे भाव मे हो और राहु नवें भाव मे स्थित हो और सारे गृह इन दोनों के बीच मे स्थित हो। यह दोष कालसर्प दोष के प्रकार मे से एक खतरनाक दोष है।
उपाय :- इस दोष के असर को नियंत्रित करने के लिए जातक को किसी शुभ मुहुर्त में अपने घर के मुख्य दरवाजे पर चांदी का स्वस्तिक एवं दोनों तरफ तांबे की धातु से निर्मित नाग-नागिन चिपकानी चाहिए।
10. घातक कालसर्प दोष :- जब भी किसी व्यक्ति की कुंडली मे केतु चतुर्थ भाव मे हो और राहु इसके सामने दसवें भाव मे उपस्थिथ हो तो एसी दशा मे कुंडली मे घातक कालसर्प दोष बनता है। इस दोष के असर के चलते आपको अपने माता-पिता से मनचाहा शुख प्राप्त नही होता है।
उपाय :- घातक कालसर्प दोष के असर को कम करने के लिए आपको नियमित रूप से भगवान शिव जी की पूजा करनी चाहिए और ॐ नम: शिवाय मंत्र का जप करना चाहिए।
11. विषधर कालसर्प दोष :- जब भी किसी व्यक्ति की कुंडली मे केतु पांचवे घर मे हो और राहु ग्यारहवें घर मे स्थित हो और बाँकी के सारे गृह इन दोनों की छाया मे हो तो इस स्थिति मे कुंडली मे विषधर कालसर्प दोष योग उत्पन्न होता है। इसमें नेत्र पीड़ा, हृदय रोग जेसे रोग होने का खतरा बना रहता है।
उपाय :- जातक को हर सोमवार को शिव जी के मंदिर जाकर दही से भगवान शिव जी का ‘ॐ हर हर महादेव” मन्त्र का जप करते हुए अभिषेक करना चाहिए।
12. शेषनाग कालसर्प दोष :- कुंडली में राहु द्वादश स्थान में तथा केतु छठे स्थान में हो तथा शेष गृह इन दोनों के बीच मे स्थित हो तो इस अवस्था मे शेषनाग कालसर्प दोष का योग बनता है।
उपाय :- जातक को शेषनाग कालसर्प दोष के कष्ट को कम करने हेतु गोमद धारण कर सकते हैं, चांदी की नाग की आकृति वाली अंगूठी धारण करने से भी अनुकूल परिणाम प्राप्त होता है।
कालसर्प दोष का अचूक उपाय
ऊपर दिए गए सारे उपाय आपको सिर्फ कालसर्प दोष के किसी भी प्रकारे के असर को कम करने मे ही मदद कर सकते है। ये उपाय कालसर्प दोष को पूरी तरह से समाप्त नहीं कर सकते है, अगर आप अपनी कुंडली से कालसर्प दोष को पूर्ण रुप से दूर करना चाहते है, तो आपको इसके लिए कालसर्प दोष निवारण पूजा करवानी चाहिए।
कालसर्प दोष निवारण पूजा एकमात्र ऐसा उपाय है जिसकी मदद से आप किसी भी प्रकार के कालसर्प दोष से को मात्र 1 दिन मे ही मुक्ति पा सकते है।
कालसर्प दोष निवारण पूजा के बारे मे और भी जानकारी के लिए आप पंडित दीपक व्यास जी से बात कर सकते है और आप पंडित जी को फ्री मे अपनी कुंडली भी दिखा सकते हे और मुफ्त मे परामर्श भी ले सकते है। पंडित जी से अभी बात करने के लिए नीचे दिए बटन को दबाएँ।
कालसर्प दोष के कितने प्रकार होते है?
जन्म कुंडली मे राहु और केतु की स्थिति के अनुसार 12 प्रकार के कालसर्प योग बनते है।
क्या कालसर्प योग को पूजा से नष्ट किया जा सकता है?
कालसर्प दोष को कालसर्प दोष निवारण पूजा के द्वारा पूरी तरह से नष्ट किया जा सकता है।
कालसर्प पूजा से असंतुलित जीवन का उपचार कैसे करें?
कालसर्प दोष निवारण पूजा की मदद से आप अपने असंतुलित जीवन को पुनः संतुलित कर सकते है।