रुद्राभिषेक पूजा कई प्रकार से की जाती है। अलग अलग पदार्थो से अभिषेक करने पर विशेष फल की प्राप्ति होती है। आज हम इस लेख के माध्यम से रुद्राभिषेक के प्रकार और उनसे होने वाले लाभ के बारे समस्त जानकारी विस्तृत रूप से बताएंगे। उससे पहले सर्वप्रथम हम यह जान लेते है की रुद्राभिषेक क्या है और इसे क्यो किया जाता है?
Contents
- 1 रुद्राभिषेक क्या है?
- 2 रुद्राभिषेक क्यो किया जाता है?
- 3 रुद्राभिषेक के प्रकार और उनसे होने वाले लाभ
- 4 रुद्राभिषेक मंत्र/ रुद्र मंत्र
- 5 लघु रुद्राभिषेक मंत्र-
- 6 रुद्राभिषेक से लाभ-
- 7 रुद्राभिषेक पूजा सामग्री
- 8 रुद्राभिषेक पूजा कहाँ की जानी चाहिए?
- 9 रुद्राभिषेक पूजा कब की जानी चाहिए?
- 10 रुद्राभिषेक पूजा मे कितना समय लगता है।
रुद्राभिषेक क्या है?
रुद्राभिषेक दो शब्दो से मिलकर बना है, रुद्र और अभिषेक। इसमे रुद्र का अर्थ भगवान शिव से है, और अभिषेक का मतलब स्नान कराना। अर्थात भगवान शिव के रुद्र अवतार का रुद्र मंत्रो के द्वारा विभिन्न पदार्थो से स्नान कराना ही रुद्राभिषेक कहलाता है। यह पवित्र स्नान भगवान शिव के रौद्ररूप को काराया जाता है। महाशिवरात्रि के दिन जल अभिषेक करके ही भगवान शिव की कृपा बडी ही आसानी से पाई जा सकती है।
रुद्राभिषेक क्यो किया जाता है?
माना जाता है, की सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता भगवान शिव है। रुद्राभिषेक भी भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए ही किया जाता है। रुतम्-दु:खम्, द्रावयति-नाशयतीतिरुद्र: अर्थात रुद्र रूप मे विराजमान भगवान शिव हमारे समस्त प्रकार के दु;खो को शीघ्र ही समाप्त कर देते है। रुद्राभिषेक करने से समस्त प्रकार के कष्टो से मुक्ति मिल जाती है।
रुद्राभिषेक के प्रकार और उनसे होने वाले लाभ
रुद्राभिषेक कई प्रकार से किया जाता है। शिव पुराण के अनुसार अलग अलग द्रव्य पदार्थो से रुद्राभिषेक करने पर विशेष फल की प्राप्ति होती है। अर्थात जिस फल की प्राप्ति के लिए रुद्राभिषेक कर रहे है उसके लिए किस द्रव्य का इस्तेमाल करना चाहिए इस बारे समस्त जानकारी शिव पुराण मे मिलती है। शिव पुराण के अनुसार ही हम यह जानकारी प्रस्तुत कर रहे है।
रुद्राभिषेक मुख्यतया 6 प्रकार से किया जाता है-
जल अभिषेक – तांबे के बर्तन मे जल भरकर बर्तन पर कुमकुम से तिलक करे। ऊं इंद्राय नमः का जाप करते हुये बर्तन पर मौली बांधे। जल अभिषेक करने से दुखो और समस्याओ से मुक्ति मिल जाती है।
शहद अभिषेक – तांबे के बर्तन मे शहद मिश्रित गंगा जल भरने के पश्चात बर्तन पर कुमकुम से तिलक करे। इस प्रकार से अभिषेक करने पर पारिवारिक जीवन मे सुख समृद्धि बनी रहती है। ऊं चंद्रमसे नमः का जाप करते हुये बर्तन पर मौली बांधे।
दही अभिषेक – तांबे के बर्तन मे दही भरकर बर्तन पर कुमकुम से तिलक करे। दही अभिषेक करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है।
दुग्धाभिषेक – तांबे के बर्तन मे दूध भरकर बर्तन पर कुमकुम से तिलक करे। ऊं श्री कामधेनवे नमः का जाप करते हुये बर्तन पर मौली बांधे। दुग्धाभिषेक करने से लंबी आयु की प्राप्ति होती है।
शहद अभिषेक – तांबे के बर्तन मे घी के साथ शहद भरकर बर्तन पर कुमकुम से तिलक करे। ऊं धन्वन्तरयै नमः का जाप करते हुये बर्तन पर मौली बांधे। घी अभिषेक करने से किसी भी प्रकार के रोग तथा शारीरिक कठिनईयो से मुक्ति मिलती है।
पंचामृत अभिषेक – तांबे के बर्तन मे पंचामृत भरकर बर्तन पर कुमकुम से तिलक करे। दूध, दही, घी, शहद और मिश्री को मिलकर ही पंचामृत बनाया जाता है। पंचामृत अभिषेक करने से व्यक्ति को जीवन मे सफलता और समृद्धि मिलती है।
रुद्राभिषेक मंत्र/ रुद्र मंत्र
हमे रुद्राभिषेक मंत्र उच्चारण करते हुये ही भगवान शिव का रुद्राभिषेक करना चाहिए। रुद्राभिषेक मंत्र का उच्चारण भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। रुद्राभिषेक मंत्र को ही रुद्र मंत्र के नाम से जाना जाता है।
ॐ नम: शम्भवाय च मयोभवाय च नम: शंकराय च
मयस्कराय च नम: शिवाय च शिवतराय च ॥
ईशानः सर्वविद्यानामीश्वरः सर्वभूतानां ब्रह्माधिपतिर्ब्रह्मणोऽधिपति
ब्रह्मा शिवो मे अस्तु सदाशिवोय् ॥
तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि। तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
अघोरेभ्योथघोरेभ्यो घोरघोरतरेभ्यः सर्वेभ्यः सर्व सर्वेभ्यो नमस्ते अस्तु रुद्ररुपेभ्यः ॥
वामदेवाय नमो ज्येष्ठारय नमः श्रेष्ठारय नमो
रुद्राय नमः कालाय नम: कलविकरणाय नमो बलविकरणाय नमः
बलाय नमो बलप्रमथनाथाय नमः सर्वभूतदमनाय नमो मनोन्मनाय नमः ॥
सद्योजातं प्रपद्यामि सद्योजाताय वै नमो नमः ।
भवे भवे नाति भवे भवस्व मां भवोद्भवाय नमः ॥
नम: सायं नम: प्रातर्नमो रात्र्या नमो दिवा ।
भवाय च शर्वाय चाभाभ्यामकरं नम: ॥
यस्य नि:श्र्वसितं वेदा यो वेदेभ्योsखिलं जगत् ।
निर्ममे तमहं वन्दे विद्यातीर्थ महेश्वरम् ॥
त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिबर्धनम् उर्वारूकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात् ॥
सर्वो वै रुद्रास्तस्मै रुद्राय नमो अस्तु । पुरुषो वै रुद्र: सन्महो नमो नम: ॥
विश्वा भूतं भुवनं चित्रं बहुधा जातं जायामानं च यत् । सर्वो ह्येष रुद्रस्तस्मै रुद्राय नमो अस्तु ॥
लघु रुद्राभिषेक मंत्र-
अरुद्रा: पञ्चविधाः प्रोक्ता देशिकैरुत्तरोतरं ।
सांगस्तवाद्यो रूपकाख्य: सशीर्षो रूद्र उच्च्यते ।।
एकादशगुणैस्तद्वद् रुद्रौ संज्ञो द्वितीयकः ।
एकदशभिरेता भिस्तृतीयो लघु रुद्रकः।।
रुद्राभिषेक से लाभ-
रुद्राभिषेक पूजा से निम्नलिखित लाभ होते है-
- रुद्राभिषेक पूजा से कालसर्प दोष, व्यापार मे लगातार हानि, ग्रहक्लेश तथा शिक्षा मे रुकावट जैसी सभी समस्याओ से छुटकारा मिल जाता है।
- कई प्रकार के ग्रह दोषो से छुटकारा मिल जाता है।
- रुद्राभिषेक पूजा से नौकरी और व्यवसाय मे सफलता मिलती है।
- रुद्राभिषेक करके व्यक्ति निरोगी और स्वस्थ हो जाता है।
- रुद्राभिषेक पूजा के द्वारा नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है।
रुद्राभिषेक पूजा सामग्री
रुद्राभिषेक पूजा के लिए 11 वस्तुए महत्वपूर्ण होती है-
- राख़/ भस्म पाउडर
- चन्दन का पाउडर
- भांग
- मक्खन
- शहद
- दही
- दूध
- तेल
- फलो का रस
- चीनी
- पानी
यदि आप दीपक व्यास जी द्वारा रुद्राभिषेक पूजा करवाते है, तो आपको किसी भी प्रकार की सामग्री की आवश्यकता नहीं है। आपको केवल उज्जैन मे आकर रुद्राभिषेक की पूजा सम्पन्न करना है।
रुद्राभिषेक पूजा कहाँ की जानी चाहिए?
वैसे तो रुद्राभिषेक पूजा किसी भी शिव मंदिर मे की जा सकती है। यह अनुष्ठानिक पूजा सभी शिव मंदिरो मे की जाने वाली सबसे व्यापक पूजा है। किन्तु कुछ प्रसिद्ध मंदिरो मे पूजा करने का विशेष महत्व है। उज्जैन मे स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, गुजरात मे स्थित सोमनाथ ज्योतिर्लिंग, नासिक मे स्थित भीमाशंकर और त्रिंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, इंदौर के पास स्थित ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, तमिलनाडू मे स्थित रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग मे पूजा करने से फल की प्राप्ति जल्द से जल्द हो जाती है।
रुद्राभिषेक पूजा कब की जानी चाहिए?
मान्यताओ के अनुसार रुद्राभिषेक वर्षभर मे कभी भी किया जा सकता है किन्तु फिर भी कुछ महत्वपूर्ण तिथियाँ होती है, इन तिथियो पर रुद्राभिषेक पूजा करने का विशेष महत्व है-
- सोमवार के दिन रुद्राभिषेक करने का विशेष महत्व है।
- सावन के पूरे महीने मे रुद्राभिषेक किया जा सकता है।
- शिवरात्रि के दिन रुद्राभिषेक करने से फल की प्राप्ति जल्दी होती है।
- गृह प्रवेश, वर्षगांठ या जन्मदिन के अवसर पर रुद्राभिषेक पूजा करना शुभ माना जाता है।
रुद्राभिषेक पूजा मे कितना समय लगता है।
रुद्राभिषेक पूजा मे केवल 3 से 4 घंटे का समय लगता है। पूजा के लिए समय तय करने के लिए आप पंडित जी से परामर्श ले सकते है।
आचार्य दीपक व्यास जी के पास वर्षभर लोग रुद्राभिषेक पूजा करवाने के लिए आते है। और अपनी समस्याओ से छुटकारा पाते है। उज्जैन मे रुद्राभिषेक पूजा करवाने के लिए आप आचार्य जी से संपर्क कर सकते है।
रुद्राभिषेक क्यो किया जाता है?
रुद्राभिषेक भी भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए ही किया जाता है। रुतम्-दु:खम्, द्रावयति-नाशयतीतिरुद्र: अर्थात रुद्र रूप मे विराजमान भगवान शिव हमारे समस्त प्रकार के दु;खो को शीघ्र ही समाप्त कर देते है।
रुद्राभिषेक पूजा मे कितना समय लगता है।
रुद्राभिषेक पूजा मे केवल 3 से 4 घंटे का समय लगता है।
रुद्राभिषेक कितने प्रकार से किया जाता है?
रुद्राभिषेक मुख्यतः 6 प्रकार से किया जाता है। जल अभिषेक ,शहद अभिषेक, दही अभिषेक, दुग्धाभिषेक, पंचामृत अभिषेक, घी अभिषेक।