कुम्भ विवाह पूजा उज्जैन

कुम्भ विवाह पूजा जिसे आमतोर पर घट विवाह के नाम से जाना जाता है, यह विवाह मांगलिक कन्याओ के लिए किया जाता है, आज इस लेख मे हम आपको कुम्भ विवाह पूजा के बारे मे सम्पूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे जैसे कुम्भ विवाह क्या होता है, यह क्यों किया जाता है, और इसके लाभ क्या क्या है।

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कुम्भ या घट विवाह क्या होता है?

कुम्भ या घट विवाह क्या होता है?

कुम्भ विवाह पूजा, इसे घट विवाह या कलश विवाह के नाम से भी जाना जाता है। यह एक विशेष प्रकार का विवाह होता है, यह विवाह मुख्य रूप से उन लड़कियों के लिए किया जाता है जिनकी कुंडली में मांगलिक दोष होता है। क्योंकि मांगलिक दोष या मंगल दोष के कारण मांगलिक कन्या को विवाह से संबन्धित समस्याओ का सामना करना पड़ता है।

कुम्भ विवाह पूजा मे मांगलिक कन्या का विवाह एक मिट्टी के बर्तन (घट) से किया जाता है। इस घट मे विष्णु भगवान की मूर्ति स्थापित होती है और उस मूर्ति के साथ कन्या का विवाह पूरे विधि विधान से किया जाता है। विवाह सम्पन्न होने के बाद मूर्ति को पानी मे बहा दिया जाता है। विवाह की इस पद्धति को कुम्भ विवाह के नाम से जाना जाता है। घट विवाह सम्पन्न होने के बाद कन्या के विवाह मे आ रही सारी परेशनीय दूर हो जाती है।

कुम्भ विवाह क्यो किया जाता है?

कुम्भ विवाह मुख्य रूप से ज्योतिषीय कारणों से किया जाता है। ज्योतिष में, जब किसी कन्या की जन्मकुंडली में मंगल ग्रह कुछ विशेष भावों में स्थित होता है, तो उसे “मांगलिक” माना जाता है। मांगलिक दोष, जैसा कि इसे कहा जाता है, विवाह में देरी, विवाह में बाधाएं, और जीवनसाथी के लिए खतरे का संकेत माना जाता है। विवाह संबन्धित इन सभी खतरो को दूर करने के लिए कुम्भ विवाह किया जाता है।

कुम्भ विवाह किन कन्याओ का किया जाता है।

कुम्भ विवाह किन कन्याओ का किया जाता है।

कुम्भ विवाह मुख्य रूप से उन कन्याओं का किया जाता है जिनकी जन्मकुंडली में मंगल दोष होता है। मंगल दोष तब होता है जब मंगल ग्रह जन्मकुंडली के 1, 4, 7, 8 या 12वें भाव में स्थित होता है।

कुम्भ विवाह निम्नलिखित स्थितियों में भी किया जा सकता है:

  • ग्राहम योग: जब भी किसी कन्या की जन्मकुंडली में सूर्य, चंद्र और मंगल एक साथ किसी भाव में स्थित होते हैं। ऐसा होने पर कन्या को बहुत सारी परेशानियों का समान करना पड़ता है।
  • विधवा योग: जब भी किसी कन्या की जन्मकुंडली में विधवा योग होने की स्थिति होती है,तो उस कन्या को कुंडली मे ग्रहो की दशा को सही करने के लिए कुम्भ विवाह पूजा सम्पन्न कराना चाहिए।
  • कुंडली में दोष: यदि जन्मकुंडली में कोई अन्य दोष हो, जैसे कि काल सर्प दोष या पितृ दोष, तो भी कुम्भ विवाह किया जा सकता है।

कुम्भ या घट विवाह पूजा के लाभ

कुम्भ या घट विवाह पूजा के लाभ-

कुम्भ विवाह के लाभ निम्नलिखित है,

  • मंगल दोष का प्रभाव कम करता है: कुम्भ विवाह मंगल दोष का प्रभाव कम करने का एक प्रभावी उपाय माना जाता है। और मांगलिक कन्याओ का कुम्भ विवाह कराने से उनकी कुंडली मे से मंगल दोष हमेसा के लिए दूर हो जाता है।
  • विवाह जीवन में सुख-समृद्धि लाता है: कुम्भ विवाह मांगलिक कन्या के वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि लाने के लिए किया जाता है।
  • कष्टों से बचाता है: कुम्भ विवाह मांगलिक कन्या के जीवन मे विवाह संबन्धित कष्टो को दूर करने मे मदद करता है।
  • दो विवाह का योग को दूर करता है: जिस किसी भी कन्या की कुंडली मे दो विवाह होने का योग होता है कुम्भ विवाह की मदद से इस योग को दूर किया जा सकता है।

कुम्भ विवाह कैसे किया जाता है?

कुम्भ विवाह में कन्या का विवाह एक मिट्टी के बर्तन में स्थापित भगवान विष्णु की मूर्ति के साथ किया जाता है। यह विवाह सभी रीति-रिवाजों के साथ संपन्न होता है। विवाह के बाद भगवान विष्णु की मूर्ति को किसी जलाशय में विसर्जित कर दिया जाता है। यह वुवह विवाह सम्पन्न होने के बाद कन्या की कुंडली मे से मांगलिक दोष हट जाता है।

कुम्भ विवाह पूजा कहाँ की जाती है?

कुम्भ विवाह पूजा कहाँ की जाती है?

वैसे तो आप कुम्भ विवाह पूजा कही पर भी करा सकते हो लेकिन कुछ स्थान ऐसे होते है जहा पर कुम्भ विवाह पूजा कराने से आपको जल्दी ही सारी परेशानियों से छुटकारा मिल जाता है। उज्जैन भी ऐसे स्थानो मे से एक है, उज्जैन मे कुम्भ विवाह पूजा को विशेष महत्व दिया जाता है। उज्जैन मे बारह जोतिर्लिंगों मे से एक महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है इसीलिए उज्जैन को मध्य प्रदेश मे सबसे पवित्र स्थान माना जाता है, और जो भी व्यक्ति उज्जैन मे किसी भी प्रकार की पूजा सम्पन्न कराता है उसे जल्दी ही सारी समस्याओ से छुटकारा मिल जाता है।

आचार्य दीपक व्यास जी द्वारा उज्जैन मे अर्क कुम्भ विवाह पूजा हेतु वर्ष भर लोग आते है और अपनी परेशानियों से मुक्ति पाते है, अगर आप भी अपने जीवन मे कई सारी परेशानियों का सामना कर रहे है और आपका कोई काम नहीं हो पा रहा है, तो अभी पंडित जी से अर्क कुम्भ विवहा पूजा के बारे मे  परामर्श अवश्य ले।

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