
कालसर्प दोष कितने वर्ष तक रहता है ? आप भी इस सवाल से परेशान है और जानना चाहते है इसका सही उत्तर तो आज हम आपको इस ब्लॉग पोस्ट के माध्यम से आपको इस दुविधा से निकालेंगे और बताएँगे की कालसर्प दोष का असर कितने वर्षो तक रहता है और इसके असर के समाधान के लिए आपको क्या करना चाहिए।
कालसर्प दोष कितने समय तक असर दिखाता है
अगर किसी जातक की कुंडली में कालसर्प दोष होता हैं, तो उस जातक को लंबे समय तक परेशानी का सामना करना पड़ता हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी जातक की कुंडली में कालसर्प दोष होने के बाद वह 42 वर्षों से लेकर उसकी मृत्यु तक ऐसे ही बना रहता हैं, इसके लिए कुंडली मे कालसर्प दोष का पता चलने पर जल्दी ही इसका निवारण करना चाहिए, नहीं तो आपको कम से कम 42 वर्ष तक परेशानी का सामना करना पड़ता हैं।
जिस जातक की कुंडली में कालसर्प दोष होता हैं, उस जातक को जीवन में बहुत सारी परेशानीयों का सामना करना पड़ता है। कालसर्प दोष निवारण पूजा के द्वारा इस दोष को और इसके दुष्प्रभावो को जल्द ही समाप्त किया जा सकता है। काल सर्प दोष का समय पर निवारण करना जरूरी होता है, क्योंकि कालसर्प दोष का समय पर निवारण न किया जाए, तो जातक को 42 वर्ष की आयु या उसकी मृत्यु तक संघर्षो और कठिनाइयो का सामना करना पड सकता है, और कालसर्प दोष के असर के चलते पीड़ित व्यक्ति को किसी भी कार्य मे सफलता नहीं मिलती है।
कुंडली मे कालसर्प दोष कितने वर्ष तक रहता है?

किसी भी जातक की कुंडली मे काल सर्प दोष कब तक रहेगा, यह पूर्ण रूप से राहु की स्थिति पर निर्भर होता है, राहु के कारण ही काल सर्प दोष का समयकाल आपकी कुंडली मे कम या ज्यादा होता है, नीचे हम यह जानेंगे की राहु की विभिन्न भावों मे स्थिति के अनुसार कालसर्प दोष कुंडली मे कितने वर्षो तक रहता है।
- कुंडली मे यदि राहु प्रथम भाव स्थित में हो, तो काल सर्प दोष कम से कम 27 वर्ष की आयु तक बना रहता है।
- यदि राहु द्वितीय भाव में स्थित हो,तो काल सर्प दोष कम से कम 33 वर्ष की आयु तक बना रहता है।
- राहु तृतीय भाव में स्थित हो, तो इस दोष का समय काल 36 वर्ष हो जाता है।
- राहु चतुर्थ भाव में स्थित हो, तो इस दोष की समयावधि 42 वर्ष तक होती है।
- राहु पंचम भाव में स्थित हो, तो काल सर्प दोष 48 वर्ष की आयु तक बना रहता है।
- राहु छठवे भाव में स्थित हो, तो काल सर्प दोष 54 वर्ष की आयु तक बना रहता है।
राहु और केतू दो छायादार ग्रह है, पौराणिक कथाओं मे राहु को सर्प का सिर वाला भाग और केतू को धड़ ( अर्थात गले से नीचे वाला भाग ) माना जाता है। ज्योतिषीय शास्त्रो मे इन दोनो ग्रहो को अशुभ माना जाता है, इसी कारण यदि व्यक्ति की कुंडली के सभी ग्रह इन दोनों ग्रहो के बीच मे आ जाए तो तो व्यक्ति को काल सर्प दोष का सामना करना पड़ता है।
जातक की कुंडली मे काल सर्प दोष हो तो उसे कालसर्प दोष निवारण मंत्र का पाठ करना चाहिए ताकि काल सर्प दोष के दुष्प्रभाव को कम किया जा सके। और जातक को तुरंत ही कालसर्प सर्प दोष निवारण पूजा करवानी चाहिए ताकि उसे इस दोष से पूर्ण रूप से छुटकारा मिल जाए।
कालसर्प दोष की अवधि का असर और उसका समाधान
अगर आपने ऊपर कालसर्प दोष की अवधि के बारे मे अच्छे से पड़ा होगा तो, आप ये समझ ही गए होंगे की कालसर्प दोष से छुटकारा पाना इतना आसान काम नहीं है। और ये दोष आपका पीछा मरते दम तक नहीं छोड़ता है। आपको इस दोष से पीछा छुड़ाने के लिए कालसर्प सर्प दोष निवारण पूजा करवानी चाहिए पूजा के बाद आपको इस दोष से पूर्ण रूप से छुटकारा मिल जाए।
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कालसर्प दोष कितने वर्ष तक रहता है?
कालसर्प दोष का समय पर निवारण न किया जाए, तो जातक को 42 वर्ष की आयु या उसकी मृत्यु तक संघर्षो और कठिनाइयो का सामना करना पड सकता है।
कालसर्प दोष का अचूक समाधान क्या है?
कालसर्प दोष निवारण पूजा ही कालसर्प दोष का सबसे अचूक और असरदार समाधान है। कालसर्प दोष पूजा के द्वारा आप कालसर्प दोष को अपनी कुंडली मे से हमेशा के लिए समाप्त कर सकते है।
कालसर्प दोष के लक्षण क्या है ?
जिनकी कुण्डली में कालसर्प दोष का प्रभाव होता है उन्हें पारिवारिक कलह का सामना करना पड़ता है। तथा जातक कितनी भी महनत कर ले उसे सफलता नहीं मिलती।