कालसर्प दोष निवारण मंत्र का उपयोग आप अपनी कुंडली मे चल रहे कालसर्प दोष के दुष्प्रभावो को कम करने के लिए कर सकता है। कालसर्प दोष के मंत्रो का जाप करके आप कालसर्प दोष को पूरी तरह मुक्ति तो नही पा सकते लेकिन आप चाहे तो अपने दैनिक जीवन मे नीचे दिये गए मंत्रो का जाप करके इस योग के असर को कम कर सकता है।
कालसर्प दोष मंत्र: इन मंत्रो से करे कालसर्प दोष का अंत
जातक नीचे दिये हुए मंत्रो का नियमित रूप से जाप करके कालसर्प दोष के असर को कम कर सकता है।
कालसर्प गायत्री मंत्र
गायत्री मंत्र के बारे में तो आपने सुना ही होगा कि समस्त ब्रह्मांड में सभी मंत्रों में सर्वश्रेष्ठ मंत्र गायत्री मंत्र होता है। गायत्री मंत्र विभिन्न प्रकार के होते हैं जिनमें से कालसर्प दोष गायत्री मंत्र भी एक है।
यदि आप रोजाना कालसर्प दोष गायत्री मंत्र का जाप करते हैं तो इससे आपको एक हफ्ते में ही परिणाम दिखने लग जाते हैं, कालसर्प दोष गायत्री मंत्र मे 2 मंत्र होते है।
।।ॐ कालसर्पाय विद्महे, ग्रहरूपाय धीमहि तन्नो नागः प्रचोदयात्।।
।।ॐ नवकुलाय विद्यमहे विषदंताय धीमहि तन्नो सर्प: प्रचोदयात् ।।
कालसर्प दोष मंत्र
कालसर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति के लिए इस मंत्र का जाप करना बहुत लाभकारी माना जाता है, क्यूंकी इस मंत्र के जाप से कालसर्प दोष के दुष्प्रभावो से छुटकारा पाया जा सकता है।
।।ॐ क्रौं नमो अस्तु सर्पेभ्यो कालसर्प शांति कुरु कुरु स्वाहा।।सर्प मंत्र।।
।।ॐ नमोस्तु सर्पेभ्यो ये के च पृथिवीमनु ये अन्तरिक्षे ये दिवि तेभ्यः सर्पेभ्यो नम:।।
महामृत्युंजय मंत्र
महामृत्युंजय मंत्र स्वयं भगवान शिव जी द्वारा निर्मित है, जातक को महामृत्युंजय मंत्र का उच्चारण नियमित रूप से रोज 108 बार करना चाहिए, ऐसा करने से जातक को बहुत सी परेशानियों से छुटकारा मिल जाता है, तथा जातक के सारे रोग भी दूर हो जाते है।
।। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ।।
राहु और केतु बीज मंत्र
कालसर्प दोष का किसी भी जातक की कुंडली मे होना पूर्ण रूप से राहु और केतु की स्थिति पर निर्भर करता है। जातक को इस दोष के असर को कम करने के लिए राहु और केतु के बीज मंत्रो का जाप करना चाहिए।
राहु के मंत्र– ।।ऊँ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:।।
केतु के मंत्र – ।। ऊँ स्त्रां स्त्रीं स्त्रों सः केतवे नमः।।
राहु और केतु के मंत्र को आपस मे जोड़ कर एक चमत्कारी मंत्र बनता है, इस मंत्र को कालसर्प दोष गुप्त मंत्र भी कहा जाता है।
।।ऊँ भ्रां भ्रीं भ्रौं फट् हौं जूं स्त्रां स्त्रीं स्त्रों सः राहवे नमः केतवे नमः स्वाहा।।
कालसर्प दोष स्तोत्र मंत्र
स्तोत्र मंत्र भी अपने आप में चमत्कारी होते हैं लेकिन अन्य मंत्रों की अपेक्षा इनका फल थोड़ा देरी से मिल सकता है। स्तोत्र मंत्र में आपको जप करने की जरूरत नहीं होती है, बल्कि आपको इन स्तोत्र मंत्रों का पाठ करना होता है, कालसर्प दोष को दूर करने के लिए कालसर्प दोष स्तोत्र मंत्र प्रसिद्ध हैं।
अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम् शंखपालं धृतराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा।।१।।
एतानि नव नामानि नागानाम च महात्मनाम्। सांयकाले पठेन्नित्यं प्रातक्काले विशेषतः।।२।।
तस्य विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत।।
इति श्रीनवनागस्त्रोत्रं सम्पूर्णम् ll
कालसर्प दोष का शिव मंत्र
कालसर्प दोष से बचने के लिए शिव जी का पंचाक्षर मंत्र बहुत लाभकारी माना जाता है, इस मंत्र को आपने बहुत बार सुना या जाप भी किया होग।
।।ॐ नमः शिवाय।।
कालसर्प दोष निवारण मंत्र
कालसर्प योग के दुष्प्रभावो को कम करने के लिए कालसर्प दोष निवारण मंत्र का उच्चारण भी किया जाता है, कालसर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति को इस मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए।
ॐ क्लीम आस्तिकम् मुनिराजम नमोनमः
कालसर्प दोष का अचूक निवारण उपाय
कालसर्प दोष के मंत्रो का लगातार जाप करने से ही इससे छुटकारा पाया जा सकता है लेकिन ये करना आपके लिए बहुत मुश्किल साबित हो सकता है इसी लिए हम आपको एक ऐसा अचूक निवारण उपाय बताएँगे जिसकी मदद से आप सिर्फ एक दिन मे ही कालसर्प दोष से मुक्ति पा सकते है।
इस दोष से पूरी तरह से मुक्ति पाने के लिए कालसर्प दोष निवारण पूजा से अच्छा और कोई उपाय नही है।अगर आप उज्जैन मे कालसर्प दोष निवारण पूजा करवाना चाहते है, तो दीपक व्यास जी से संपर्क कर सकते है, और कालसर्प दोष और इसके निवारण के बारे मे काफी अच्छे तरीके से जान सकते है।
पंडित जी वैदिक अनुष्ठानों में आचार्य की उपाधि से विभूषित है एवं सभी प्रकार के दोष एवं बाधाओ के निवारण के कार्यो को करते हुए १५ वर्षो से भी ज्यादा समय हो गया है।
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कालसर्प गायत्री मंत्र कोनसा है?
1. ।।ॐ कालसर्पाय विद्महे, ग्रहरूपाय धीमहि तन्नो नागः प्रचोदयात्।।
2. ।।ॐ नवकुलाय विद्यमहे विषदंताय धीमहि तन्नो सर्प: प्रचोदयात् ।।
कालसर्प दोष का शिव मंत्र क्या है?
कालसर्प दोष से बचने के लिए शिव जी का पंचाक्षर मंत्र बहुत लाभकारी माना जाता है, इस मंत्र को आपने बहुत बार सुना या जाप भी किया होग।
।।ॐ नमः शिवाय।।
राहु और केतु बीज मंत्र कोन से है?
राहु के मंत्र– ।।ऊँ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:।।
केतु के मंत्र – ।। ऊँ स्त्रां स्त्रीं स्त्रों सः केतवे नमः।।